- मणिपाल हॉस्पिटल्स ने पूर्वी भारत का पहला एआई-संचालित इंजेक्टेबल वायरलेस पेसमेकर सफलतापूर्वक स्थापित किया
- Manipal Hospitals successfully performs Eastern India’s first AI-powered injectable wireless pacemaker insertion
- Woxsen University Becomes India’s First Institution to Achieve FIFA Quality Pro Certification for RACE Football Field
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने यू – जीनियस राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी फिनाले में प्रतिभाशाली युवाओं का किया सम्मान
- Union Bank of India Celebrates Bright Young Minds at U-Genius National Quiz Finale
महिला मैकेनिकों को सम्मानित किया
शहर ने रचा नया इतिहास
दीक्षांत समारोह में 40 महिला मैकेनिकों और उन्हें रोजगार देने वाले सर्विस सेंटर्स को सम्मानित किया गया।
इन्दौर। महिलाओं को बाईक मैकेनिक का प्रशिक्षण देकर उन्हें आजीविका से जोड़ने के काम लगी संस्था ‘समान सोसायटी’ द्वारा आज 31 मार्च को महिला प्रशिक्षार्थियों का दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया।
इस समारोह में शहर की 40 महिला मैकेनिकों का सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि संस्था द्वारा महिलाओं को पुरूष वर्चस्व वाले रोजगार जैसे मैकेनिक व ड्राईविंग से जोड़ने की पहल पिछले तीन सालों से की जा रही है।
इसी कड़ी में इस वर्ष शहर में 40 महिलाओं ने समान सोसायटी से बाईक मैकेनिके प्रशिक्षण के जरिये अपनी नई पहचान कायम की है। इन्दौर शहर पूरे उत्तर भारत का एक मात्र ऐसा शहर हैं, जहां इतनी अधिक संख्या में महिला मैकेनिक मौजूद है।
इनमें से 12 महिलाए शहर के विभिन्न सर्विस सेंटर्स पर मैकेनिक के रूप में नौकरी भी कर रही है, वहीं कई महिलाएं जल्दी ही अपना गेराज शुरू करने जा रही है। यदि ऐसा होता है तो यह इन्दौर शहर के लिए अनूठी और गौरवपूर्ण बात होगी। गर्ल्स काउंट नईदिल्ली से सहयोग से समान सोसायटी द्वारा संचालित इस प्रशिक्षण में आगामी वर्ष में 100 और महिलाओं को बाईक मैकेनिक का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
असमानता को बढ़ावा देने वाली परंपराएं टूटेगी
दीक्षांत समारोह के अवसर पर मैकेनिक का रोजगार हासिल कर नौकरी करने वाली महिला मैकेनिकों को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। दीक्षांत समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल पूर्व आईएएस एवं वर्तमान में ईफसल के सीईओ डॉ. रवीन्द्र पस्तोर ने कहा कि इस तरह के प्रयासों से समाज में जेण्डर आधारित पहचान और असमानता को बढ़ावा देने वाली परंपराएं टूटेगी। डॉ. पस्तोर ने कहा कि महिला मैकेनिकों को रोजगार से जोड़ने के साथ ही विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से उन्हें स्वरोजगार से भी जोड़ा जा सकता है। स्वरोजगार के जरिये इस व्यवसाय को व्यापक पैमाने पर फैलाया जा सकता है।
संस्था का मानना है कि जेण्डर के आधार पर रोजगार के बंटवारे की पारंपरिक सामाजिक प्रक्रिया से महिलाओं को तकनीकी कौशल से वंचित रखा गया है। जबकि तकनीक पर आधारित रोजगार में आय और तरक्की के अच्छे अवसर हैं। अत: जेण्डर समानता की दिए महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ ही उन्हें तकनीकी कामों से जोड़ने की पहल समान सोसायटी द्वारा की जा रही है। संस्था ने शहर के सर्विस सेंटर्स से अपील की है कि वे अपने संस्थान में महिलाओं को मैकेनिक के रूप में रोजगार देकर शहर में रचे जा रहे नए इतिहास में अपनी भागीदारी करें।